म्हारो प्यारो राजस्थान
हिन्दी हास्य कवि अलबेला खत्री री राजस्थानी रचनावां
Friday, December 3, 2010
नकली घी रो सीरो खा'र मर जावां
लाय
लिपटगी
घर
स्यूं
पण
घर
छोड़
कठि
नै
जावां
?
सूत्या
सगळा
राल्ली
म्हे
,
किंनै
दिल
रो
दरद
सुनावां
?
खाण्डो
कोनी
,
ढाल
बी
कोनी
,
अब
कैंयाँ
जान
बचावां
?
जी
म्हे
आवै
भायां
नकली
घी
रो
सीरो
खा
'
र
मर
जावां
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