म्हारो प्यारो राजस्थान
हिन्दी हास्य कवि अलबेला खत्री री राजस्थानी रचनावां
Wednesday, December 1, 2010
तू तो ले बैठ्यो मन्ने
हास्य सम्राट डॉ रामरिख "मनहर" जी
कवि-सम्मेलना म्हे आपरै सञ्चालन म्हे
अक्सर मन्ने कहया करता हा :
मैं लेण आयो थो तन्ने
तू तो ले बैठ्यो मन्ने
तू छोड़ दे मन्ने
तो मैं ले जाऊं तन्ने ..............हा हा हा
हा
1 comment:
किरण राजपुरोहित नितिला
December 7, 2010 at 2:54 AM
chokho bot chokho sa.
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