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Monday, November 29, 2010

अठै रा मिनख घणैइ मजै म्है रैवे है

______________राजस्थानी कविता

ऐ गाम है सा ...

ऐ गाम है सा
थे तो सुणयो इ होसी ...

अठै अन्न-धन्न री गंगा बैवै है
अठै रा मिनख घणैइ मजै म्है रैवै है

बीजळी ?

ना सा, जगण आळी बीजळी रो अठै कांइं काम ?

अठै तो बाळण आळी बीजळियां पड़ै है
कदै काळ री,

कदै गड़ां री,

कदै तावड़ै री
जिकी टैमो-टैम चांदणो कर देवै है
ऐ गाम है सा
अठै रा मिनख घणैइ मजै म्है रैवे है ...


दुकान ?

ना सा, बा दुकान कोनी
बा तो मसाण है
जिकी मिनख तो मिनख,

बांरै घर नै भी खावै है
बठै बैठ्यो है एक डाकी,

जिको एक रुपियो दे' र
दस माथै दसकत करावै है
पैली तो बापड़ा लोग,

आपरी जागा,

टूमां अर बळद
अढाणै राख' र करजो लेवै है
पछै दादै रै करज रो बियाज
पोतो तक देवै है
करजो तोई चढय़ो रैवे है
ऐ गाम है सा
अठै रा मिनख घणैइ मजै म्है रैवै है ...


डागदर?

डागदर रो कांई काम है सा ?

बिंरौ कांई अचार घालणो है ?

अठै
पैली बात तो कोई बीमार पड़ै कोनी
अर पड़ इ जावै तो फेर बचै कोनी
जणां डागदर री
अणूती
भीड़ कर' र
कांई लेवणो ?
ताव चढ़ो के माथो दुःखो
टी.बी. होवो चाये माता निकळो
अठै रा लोग तो
घासो घिस-घिस अर देवै है
अनै धूप रामजी रो खेवै है
ऐ गाम है सा
अठै रा मिनख घणैइ मजै म्है रैवै है

रामलीला?

आ थानै रामलीला दीठै ?

आ तो
पेटलीला है सा
जिकै म्है
घर रा सगळा टाबर-टिंगर
लड़ै है,

कुटीजै है ...

पेट तो किंरो इ कोनी भरै,

पण ...

मूंडो तो ऐंठो कर इ लेवै है
जणा इ तो दुनिया कैवै है
ऐ गाम है सा
अठै रा मिनख घणै इ मजै म्है रैवै है


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