Wednesday, November 17, 2010

सुपना देखां खुली आँख्यां स्यूं




आओ

सुपना देखां खुली आँख्यां स्यूं

अर पूरा करां सुपना बांका


जिका म्हानै जनम दियो सुपना देख देख '

बांरी अभीप्सावां

अर बांरी मन्नतां पुरावां

अर बांकी
सेवा म्हे जीवन लगावां

आओ, जीवन नै सफल बनावां


albela khatri,rajasthani poetry,rajasthani kavita,marudhra,marwad, sahitya,bikaner,jaipur,chittodgarh,jodhpur,ganganagar,surat

5 comments:

  1. आदरजोग अलबेला जी
    घणैमान रामा श्यामा !
    सुपना देखां खुली आंख्यां स्यूं
    अर पूरा करां सुपना बांका
    जिका म्हानै जनम दियो…

    घणो आछो विचार है सा ! माईतां रा सुपना पूरा करणो मिनख रो पैलड़ो धरम है …

    नुंवै ब्लॉग सागै एक'र भळै एक'र फेर आपरो हियतळ सूं स्वागत !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete

  2. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

    ReplyDelete

  3. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

    ReplyDelete
  4. बास वोईस का आमंत्रण :
    आज हमारे देश में जिन लोगों के हाथ में सत्ता है, उनमें से अधिकतर का सच्चाई, ईमानदारी, इंसाफ आदि से दूर का भी नाता नहीं है। अधिकतर तो भ्रष्टाचार के दलदल में अन्दर तक धंसे हुए हैं, जो अपराधियों को संरक्षण भी देते हैं। इसका दु:खद दुष्परिणाम ये है कि ताकतवर लोग जब चाहें, जैसे चाहें देश के मान-सम्मान, कानून, व्यवस्था और संविधान के साथ बलात्कार करके चलते बनते हैं और किसी को सजा भी नहीं होती। जबकि बच्चे की भूख मिटाने हेतु रोटी चुराने वाली अनेक माताएँ जेलों में बन्द हैं। इन भ्रष्ट एवं अत्याचारियों के खिलाफ यदि कोई आम व्यक्ति, ईमानदार अफसर या कर्मचारी आवाज उठाना चाहे, तो उसे तरह-तरह से प्रता‹िडत एवं अपमानित किया जाता है और पूरी व्यवस्था अंधी, बहरी और गूंगी बनी रहती है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आज नहीं तो कल, हर आम व्यक्ति को शिकार होना ही होगा। आज आम व्यक्ति की रक्षा करने वाला कोई नहीं है! ऐसे हालात में दो रास्ते हैं-या तो हम जुल्म सहते रहें या समाज के सभी अच्छे, सच्चे, देशभक्त, ईमानदार और न्यायप्रिय लोग एकजुट हो जायें! क्योंकि लोकतन्त्र में समर्पित एवं संगठित लोगों की एकजुट ताकत के आगे झुकना सत्ता की मजबूरी है। इसी पवित्र इरादे से भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की आजीवन सदस्यता का आमंत्रण आज आपके हाथों में है। निर्णय आपको करना है!
    http://baasvoice.blogspot.com/

    ReplyDelete